प्रभु श्रीराम आ गये तो मैंने उनके लिए एक रथ तैयार किया है जिसमें दो पहिया लगाया है एक पहिया भावना का दूसरा कर्त्तव्य का क्योंकि प्रभु श्रीराम ने इसी रथ पर सवार होकर अपनी सम्पूर्ण जीवन यात्रा की थी तभी बने मर्यादा पुरुषोत्तम राम। लौकिक जगत में अलौकिकता का दर्शन हरे राम हरे कृष्ण।
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