मुझे वीणा के तार की तरह गुनगुनाना भी अच्छा लगता है उसमें मन की वीणा बजती है तो बहुत तरह के वाणी प्रदूषण से बचा रहता हूं। मां के एक हाथ में वीणा और दूसरे हाथ में ज्ञान सवारी हंस की आहा अति सुन्दर। साहित्य संगीत कला विहीन: साक्षात् पशु पुच्छविषाण हीन:।
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