आज के समय में राम जी तभी प्रसन्न होते हैं जब भीड़ मस्जिद और दरगाहों के बाहर मुजरा करती है, अपशब्द बोलती है और अनर्गल नारे लगाती है। वो ज़माना और था जब राम जी मंदिर के भीतर भक्तों को भक्ति में लीन देख प्रसन्न होते थे। समय बदल गया है, हालात बदल गए है।
मौलिक साहिब, ज़रा इनको भी राह दिखा दीजिए। देखिए, ये बेगम तो वक्फ बोर्ड से अपना हिस्सा लेने पहुँच गई हैं, जो मोदी जी अब इनको देने वाले हैं वक्फबोर्ड से लेकर। जिस तरह तीन तलाक खत्म होने के बाद इन बेगमों को इंसाफ मिलना शुरू हुआ, वैसे ही अब वक्फ की मिल्कियत का हक भी इनको मिल जाएगा। अब वक़्त आ गया है मौलिक साहिब, हुजरे से बाहर आइए, कब तक आप कौम आगे बढ़ाने के नाम पर आराम फरमाते रहेंगे?
मुट्ठी भर ऑफ़िशियल गुंडों को इतना अधिकार दे दिया गया है कि वे जब चाहें, जहां चाहें तोड़फोड़ कर सकते हैं, कत्लेआम मचा सकते हैं, क्योंकि यह सत्ता में बैठे स्वयंभू भगवान को सूट करता है। संवैधानिक पदों पर बैठे अधिकारी और न्याय के रखवाले आंखों पर पट्टी बांधे बैठे हैं। ये अधिकारी तभी सक्रिय होते हैं, जब केवल और केवल अब्दुल को हाशिए पर धकेलना हो।
मुख्यमंत्री जी जनता से पूछ रहे थे – तुम्हें कांवर चाहिए या कर्फ्यू? मगर यह नहीं बताया कि समाज को कांवर और झूठी देशभक्ति के नाम पर हिंसक बनाकर किसको फायदा हो रहा है। लोग छोटी-छोटी बातों पर एक-दूसरे का गला काट रहे हैं, और हम तो धर्म के अफीम में मस्त हैं।
नोट: देश पहले भी सर्वोपरि था अब भी है, और हमेशा रहेगा।
इतिहास गवाह है कि अब्दुल केवल इसी बात से खुश हो जाते हैं कि कोई दूसरे धर्म का व्यक्ति टोपी पहनकर उनके ही पैसे से दी गई इफ्तार पार्टी में शामिल हो जाए। इसी संदर्भ में दिल्ली के मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता, प्रशांत कुमार, राहुल गांधी, मल्ला मुलायम परिवार एवं अन्य को रेखा गुप्ता को भी देखा जा सकता है, जो केवल दिखावे की राजनीति करते हैं।